देश में हरित क्रांति के अग्रदूत के रूप में है पहचान
हिसार, 09 मई (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा है कि सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक रॉव बहादुर डॉ. रामधन सिंह द्वारा देश के खाद्यान उत्पादन में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए उन्हें आज भी बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है। वे सोमवार को विश्वविद्यालय में स्वर्गीय राव बहादुर डॉ. रामधन सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस महान वैज्ञानिक ने विभिन्न फसलों की नई किस्में इजाद कर भारत ही नही अपितु दुनिया में अलग पहचान बनाई। उनके द्वारा तैयार की गई बासमती चावल की 370 किस्म की बदौलत आज भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। उन्होंने कहा डॉ. रामधन सिंह ने अपने जीवन में गेहूं, चावल, जौ तथा दलहनों की 25 उन्नत किस्मों को विकसित किया जिनके परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। कुलपति ने डॉ. रामधन सिंह को श्रद्धांजलि दी तथा कहा कि वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और कड़ी मेहनत व लगन के साथ कृषि की ज्वलंत समस्याओं को लेकर अनुसंधान कार्य करते हुए देश को खाद्यान्न तथा पोषण सुरक्षा प्रदान करने में योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर गोविंद बल्भ पंत कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रोफेसर डॉ. जेपी जयसवाल ने बदलती मौसमी परिस्थिति के अंतर्गत गेहूं फसल सुधार रणनीति विषय पर मुख्य संभाषण दिया और देश की गेहूं की मांग की अपूर्ति के लिए तापमान, रोग व कीट प्रकोप जैसे विभिन्न जैविक व अजैविक दबावों के बावजूद अधिक पैदावार देने वाली किस्में विकसित किए जाने की आवश्यकता जताई।
इससे पूर्व कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. एसके पाहुजा ने डॉ. रामधन सिंह द्वारा कृषि क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देशी गेहूं की किस्म सी-306 जिसे खाने में सबसे स्वादिष्ट माना जाता है, के जनक भी डॉ. रामधन सिंह ही थे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव