यदि आप भी नौकरी करते हुए परेशान हो चुके है और अपने खुद के व्यवसाय के बारे में सोच रहे है या खुद का मालिक बनने के बारे में विचार कर रहे है तो ये खबर जरूर पढ़ें। यदि आपके पास आपके गांव में वीरान पड़े खेत है तो आप खेती के जरिये लाखों रुपए कमा सकते है।
आज से करीब 10-15 साल पहले लोग कहा करते थे कि अगर पढ़ने लिखने में आपका मन न लगे तो खेती बाड़ी कर लो। आज न केवल आर्थिक तौर पर कमजोर लोग खेती करते है बल्कि आईएएस और आईआईटी पास आउट लोग भी शोक से खेती करते है।
हम बात कर रहे है काले चावल यानी ‘ब्लैक राइस’ की खेती के बारे में। इन दिनों भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में काले चावल की डिमांड काफी बढ़ गई है। काले चावल न सिर्फ खाने में अच्छा है बल्कि इसकी कई स्वास्थ्य से जुड़ी विशेषताएं भी है। काले चावल की खेती सबसे ज्यादा पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे सिक्कम, मणिपुर असम में की जाती है।
क्या है ब्लैक राइस?
बदलते वक्त के साथ ब्लैक राइस की खेती अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में भी शुरू हो गई है। काला चावल पकाने पर नीले बैगनी रंग में बदल जाता है यही कारण है कि इसे नीले भात के नाम से भी पहचाना जाता है। वैसे ब्लैक राइस या काला चावल सामान्य तौर पर आम चावल जैसा ही होता है।
बताया जाता है कि इसकी शुरुआत यानी काले चावल की खेती चीन से शुरू हुई थी। काले चावल की खेती को तैयार होने में औसतन 100 से 110 दिन का समय लगता है। इसके पौधे की लंबाई आमतौर पर धान की पौध से थोड़ी बड़ी होती है। साथ ही इसके बाली के दाने लंबे होते है। काले चावल की खासियत ये है कि ये कम पानी वाली जगह पर भी यह हो सकता है।
लखपति बनने के लिए एक अच्छा जरिया
यदि आप काले चावल की खेती करते है तो आप अच्छी कमाई कर सकते है। पारंपरिक चावल के मुकाबले काला चावल 500 गुना अधिक कमाई करके देता है। पारंपरिक चावल जहां 80 से 150 रूपये के बीच बिकते है, वही काले चावल की कीमत 250 रुपये से शुरू होती है।
कई राज्य सरकारें भी लोगों को काले चावल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यदि कोई काले चावल की खेती करना चाहता है तो वह। स्माम किसान योजना का लाभ भी उठा सकते है। इस योजना के जरिये आपको खेती करने वाले उपकरण आसानी से 50 से 80% की सब्सिडी पर मिल जाएंगे।